सिगमंड फ्रायड के जन्मदिवस पर गोष्ठी
दुमका। संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में सोमवार को आधुनिक मनोविज्ञान के जनक सिगमंड फ्रायड की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष सह मेंटल हेल्थ काउंसलिंग सेंटर के निदेशक डॉ विनोद कुमार शर्मा की अध्यक्षता में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत फ्रायड के जन्मदिवस पर विद्यार्थियों के साथ केक काटकर की गई।
डॉ शर्मा ने अपने संबोधन में सिगमंड फ्रायड के जीवन, विचारों और मनोविज्ञान में उनके अभूतपूर्व योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि फ्रायड के विचार आज भी मानव व्यवहार को समझने और मानसिक विकृतियों से बचाव के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। फ्रायड ने यह सिद्ध किया कि प्रत्येक व्यवहार के पीछे कोई न कोई कारण होता है, जिसे 'साइकिक डिटरमिनिज्म' कहा जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि लैंगिक इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती है, तो वे इच्छाएं दमित होकर अचेतन मन में चली जाती हैं और स्वप्न या भूल के रूप में सामने आती हैं।
डॉ शर्मा ने फ्रायड द्वारा बताए गए व्यक्तित्व विकास की पांच अवस्थाओं—ओरल, ऐनल, फेलिक, लेटेंसी और जेनाइटल—का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इन चरणों में उत्पन्न बाधाएं मनोविकार का कारण बन सकती हैं। फ्रायड द्वारा प्रतिपादित ओडिपस और इलेक्ट्रा कॉम्प्लेक्स की अवधारणा पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि फ्रायड ने जीवन और मृत्यु मूल प्रवृत्तियों की बात कर यह बताया कि जहां जीवन प्रवृत्ति व्यक्ति को प्रेम, सृजन और संवेदना की ओर ले जाती है, वहीं मृत्यु प्रवृत्ति व्यक्ति को विनाश की ओर प्रेरित करती है। आज की वैश्विक परिस्थितियों जैसे आतंकवाद और युद्धों को फ्रायड की मृत्यु प्रवृत्तियों की व्याख्या से भी समझा जा सकता है।
कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉ त्रिजा जेनिफर टोप्पो ने भी विचार व्यक्त किए और फ्रायड के मनोचिकित्सा के क्षेत्र में योगदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ किलिश मरांडी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।


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